ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको मेरे गीत समर्पित उसकोकमलेश द्विवेदी
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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे
104. अपने गीतों में हम
अपने गीतों में हम सबके मन की बातें गाते हैं।
इसीलिए तो गीत हमारे इस दुनिया को भाते हैं।।
कभी किसी का दिल जो टूटे
उसका मन बहलायें ये।
कोई अगर किसी से रूठे
उसे मनाकर लायें ये।
सबके ज़ख्मों का मरहम बन सबका दर्द मिटाते हैं।
इसीलिए तो गीत हमारे इस दुनिया को भाते हैं।।
बहुत दूर तक चलते-चलते
जब कोई थक जाता है।
आगे बढ़ने का कोई पथ
उसको नज़र न आता है।
तब ये उसे हौसला देकर मंज़िल तक पहुँचाते हैं।
इसीलिए तो गीत हमारे इस दुनिया को भाते हैं।।
हमने कब यह कहा- हमारे
गीत सभी से अच्छे हैं।
पर ये भोले-भाले बच्चों
जैसे बिलकुल सच्चे हैं।
ये अपनी सच्चाई से ही सबको सदा लुभाते हैं।
इसीलिए तो गीत हमारे इस दुनिया को भाते हैं।।
इसीलिए तो गीत हमारे इस दुनिया को भाते हैं।।
कभी किसी का दिल जो टूटे
उसका मन बहलायें ये।
कोई अगर किसी से रूठे
उसे मनाकर लायें ये।
सबके ज़ख्मों का मरहम बन सबका दर्द मिटाते हैं।
इसीलिए तो गीत हमारे इस दुनिया को भाते हैं।।
बहुत दूर तक चलते-चलते
जब कोई थक जाता है।
आगे बढ़ने का कोई पथ
उसको नज़र न आता है।
तब ये उसे हौसला देकर मंज़िल तक पहुँचाते हैं।
इसीलिए तो गीत हमारे इस दुनिया को भाते हैं।।
हमने कब यह कहा- हमारे
गीत सभी से अच्छे हैं।
पर ये भोले-भाले बच्चों
जैसे बिलकुल सच्चे हैं।
ये अपनी सच्चाई से ही सबको सदा लुभाते हैं।
इसीलिए तो गीत हमारे इस दुनिया को भाते हैं।।
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