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ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको

मेरे गीत समर्पित उसको

कमलेश द्विवेदी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :295
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9589
आईएसबीएन :9781613015940

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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे

99. मन के गीतों को भी लोग सुनें

 

जितने गीत अधर पर आये उनको सभी गुनें।
मन करता है-मन के गीतों को भी लोग सुनें।।

माना गीतों में सब कहना
संभव होता है।
मगर वही कह पाता जिसको
अनुभव होता है।
अपना तो अनुभव है थोड़ा, कैसे शब्द चुनें।
मन करता है-मन के गीतों को भी लोग सुनें।।

यों तो गाँवों-शहरों में हम
जहाँ-जहाँ पहुँचे।
हमसे पहले गीत हमारे
वहाँ-वहाँ पहुँचे।
फिर भी लगता-हम गीतों की चादर और बुनें।
मन करता है-मन के गीतों को भी लोग सुनें।।

जो कुछ भी हम कहना चाहें
वो सब कह डालें।
रहते हुए धरा पर, नभ की
ऊँचाई पा लें।
धरती से अम्बर तक गूँजें अपनी गीत-धुनें।
मन करता है-मन के गीतों को भी लोग सुनें।।

 

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