ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको मेरे गीत समर्पित उसकोकमलेश द्विवेदी
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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे
98. आओ हम-तुम प्यार करें
ग़ज़लों का दिल टूट न जाये आओ हम-तुम प्यार करें।
गीतों की धुन रूठ न जाये आओ हम-तुम प्यार करें।।
चार दिनों की मिली चाँदनी
तो क्या रोना-धोना।
मन की क्यारी में हरदम बस
मुस्कानें ही बोना।
कोई भी पल छूट न जाये आओ हम-तुम प्यार करें।
ग़ज़लों का दिल टूट न जाये आओ हम-तुम प्यार करें।।
तुम बन जाओ ग़ज़ल हमारी
मैं हूँ गीत तुम्हारा।
गीतों-ग़ज़लों की ख़ुशबू से
महके आँगन सारा।
संयम का घट फूट न जाये आओ हम-तुम प्यार करें।
ग़ज़लों का दिल टूट न जाये आओ हम-तुम प्यार करें।।
जिसने-जिसने प्यार किया है
उसने-उसने माना।
इस दुनिया में नहीं प्यार से
कोई बड़ा ख़ज़ाना।
कोई इसको लूट न जाये आओ हम-तुम प्यार करें।
ग़ज़लों का दिल टूट न जाये आओ हम-तुम प्यार करें।।
गीतों की धुन रूठ न जाये आओ हम-तुम प्यार करें।।
चार दिनों की मिली चाँदनी
तो क्या रोना-धोना।
मन की क्यारी में हरदम बस
मुस्कानें ही बोना।
कोई भी पल छूट न जाये आओ हम-तुम प्यार करें।
ग़ज़लों का दिल टूट न जाये आओ हम-तुम प्यार करें।।
तुम बन जाओ ग़ज़ल हमारी
मैं हूँ गीत तुम्हारा।
गीतों-ग़ज़लों की ख़ुशबू से
महके आँगन सारा।
संयम का घट फूट न जाये आओ हम-तुम प्यार करें।
ग़ज़लों का दिल टूट न जाये आओ हम-तुम प्यार करें।।
जिसने-जिसने प्यार किया है
उसने-उसने माना।
इस दुनिया में नहीं प्यार से
कोई बड़ा ख़ज़ाना।
कोई इसको लूट न जाये आओ हम-तुम प्यार करें।
ग़ज़लों का दिल टूट न जाये आओ हम-तुम प्यार करें।।
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