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ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको

मेरे गीत समर्पित उसको

कमलेश द्विवेदी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :295
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9589
आईएसबीएन :9781613015940

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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे

98. आओ हम-तुम प्यार करें

 

ग़ज़लों का दिल टूट न जाये आओ हम-तुम प्यार करें।
गीतों की धुन रूठ न जाये आओ हम-तुम प्यार करें।।

चार दिनों की मिली चाँदनी
तो क्या रोना-धोना।
मन की क्यारी में हरदम बस
मुस्कानें ही बोना।
कोई भी पल छूट न जाये आओ हम-तुम प्यार करें।
ग़ज़लों का दिल टूट न जाये आओ हम-तुम प्यार करें।।

तुम बन जाओ ग़ज़ल हमारी
मैं हूँ गीत तुम्हारा।
गीतों-ग़ज़लों की ख़ुशबू से
महके आँगन सारा।
संयम का घट फूट न जाये आओ हम-तुम प्यार करें।
ग़ज़लों का दिल टूट न जाये आओ हम-तुम प्यार करें।।

जिसने-जिसने प्यार किया है
उसने-उसने माना।
इस दुनिया में नहीं प्यार से
कोई बड़ा ख़ज़ाना।
कोई इसको लूट न जाये आओ हम-तुम प्यार करें।
ग़ज़लों का दिल टूट न जाये आओ हम-तुम प्यार करें।।

 

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