ई-पुस्तकें >> खामोश नियति खामोश नियतिरोहित वर्मा
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कविता संग्रह
"जहांन से परे,
ख्बाब से दूर,
सच से बाकिफ़,
हक़ीकत की आवाज़ें कुछ ऐसी थीं"
अल्फ़ाज़ बिखरने लगे,
जब अल्फ़ाज़ बटोरे तो,
बचे थे,
किताब के बिखरे कुछ कोरे पन्ने...
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