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खामोश नियति

रोहित वर्मा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :41
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9583
आईएसबीएन :9781613015957

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कविता संग्रह

सन्नाटा

सलाखों के पीछे कई पहचाने चेहरे थे,

मायूसियों के सागर में डूबे,

बिना गुनाह के गुनहगार बन गये,

कारनामे किसी और के,

शोहरत उनको मिल गई,

ख्वाबों के अनंत ब्रह्माण्ड में

अपने आप में खोना,

खुद से नज़र हटाकर,

खुद के लिए दुआ करना,

पुकार हक़ीकत की कुछ ऐसी थी।

कौन हो तुम....?

और यहाँ क्यों आए हो....?

चारों तरफ सन्नाटा सा फैला है,

सिर्फ़ एक ही आवाज़ बार-बार गूँज रही है,

और मैं खामोशी से सिर्फ़ सुन रहा हूँ।

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Rohit Kumar

Respected Sir/Madam, I am very much thankful for this book....