ई-पुस्तकें >> खामोश नियति खामोश नियतिरोहित वर्मा
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कविता संग्रह
सब्र
जाते-जाते सब्र का इम्तिहान मत लो,
कब्र बहुत छोटी है,
उसका नाप मत लो,
पेशगी खुदा की बैठक में है,
इससे जबाब मत लो,
अब इस रूह का इम्तिहान और ना लो,
इस शमशीर की धार का जायजा मत लो,
आज़ाद है, कायनात की तमाम मजबूरियों से,
अब इसे बंधन में मत लो।
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