ई-पुस्तकें >> खामोश नियति खामोश नियतिरोहित वर्मा
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कविता संग्रह
शब्द
अक्षर की किताब से,
दो अक्षर लिए मैंने,
एक "खुदा" था,
एक "तुम" था,
दोनों की आवाज़ में देखो कितना गम था,
एक राह थी दोनों की,
तुमको पाना खुदा को था,
खुदा को जानना तुमको
वक्त की एक नज़र ऐसी भी थी,
शाम के साथ आँधी भी थी,
रोशनी के साथ सूरज भी कई थे,
हर वक्त एक नई रोशनी थी।
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