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खामोश नियति

रोहित वर्मा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :41
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9583
आईएसबीएन :9781613015957

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कविता संग्रह

गुमशुदा

एक खत सब जगह फैल गया, जिसमें चंद शब्द लिखे थे, "गुमशुदा"

उसकी तलाश में शाम-सुबह हर वक्त बिना एक पल चैन लिए, जारी तलाश हर वक्त अंधेरों में, उजालों में समंदर की गहराई में गर्त में, "गुमशुदगी" की उस शख़्श की जो खुद की तलाश में खो गया। अंधेरों की पत्थर से बनी ऐसी सख्त दीवारें ना तो कोई तोड़ सकता था, ना उसे आज़ाद कर सकता है, कोई है तो वो उसकी अंतरात्मा की शक्ति, उम्मीद, फिर शाम हो गई तलाश में "खुद की " फिर सुबह होगी, जारी तलाश की......

खोने का गम उन्हें है,

और जिंदगी को यहाँ आने का,

शाम होने का राज पता है,

और उन्हें सुबह डूब जाने का,

हर कोई गमगीन है, क्योंकि,

किसी के खोने का इस्तिहार यहाँ भी है।

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Rohit Kumar

Respected Sir/Madam, I am very much thankful for this book....