ई-पुस्तकें >> खामोश नियति खामोश नियतिरोहित वर्मा
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कविता संग्रह
शैतान
झुलसती आग में कुछ जलते हुए अक्षर कुछ कहने की कोशिश में थे, वो हक़ीकत या उससे परे कुछ, फिर मासूम दिल की आड़ में शैतान की बस्ती, कुछ तो है पन्नो में जो आधे लिखे हुए है, फिर इंतजार करता रहेगा, जब तक वो आग की राख में तलाश में जहांन की ना कर ले|
धुआँ बाकी है उस आग में,
वो अभी बुझी नहीं,
लिखा है कुछ तस्वीर में,
वो अभी पढ़ा नहीं,
बाकी हैं, कुछ खाली पन्ने इस किताब के,
जो अभी लिखे नहीं,
इंतजार है जब तक,
मैं खुद से मिलता नहीं,
आज ....कल .....और हमेशा......
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