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कटी पतंग
कटी पतंग
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ :
ईपुस्तक
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पुस्तक क्रमांक : 9582
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आईएसबीएन :9781613015551 |
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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।
''मैंने गाड़ी की चाबी ले ली है। जाते ही पुलिस चौकी में सूचना दूंगा।''
''पुलिस!'' अंजना कांप उठी।
''आप तो डर गई!''
' 'नहीं...मेरा मतलब है बेकार आपको तकलीफ होगी।''
''तकलीफ कैसी! सूचना देना तो इसलिए भी जरूरी है कि वह मेरी गोली से जख्मी हुआ है।''
वह चुप हो गई। अधिक बहस करना उसने उचित नहीं समझा। वह समय के फेर से डर रही थी। न जाने उसके नसीब में और क्या-क्या लिखा था। होनी उसकी ज़िंदगी से शायद कोई और खेल खेलने जा रही थी।
जीप गाड़ी रवाना हुई और वह चुपचाप फिर उन घने वृक्षों की ओर देखने लगी जिनसे धुंध छंटछंटकर बादलों में समाने जा रही थी, लेकिन इसके साथ-साथ उसके भयभीत दिल की धड़कन भी धीरे-धीरे धीमी होती जा रही थी।
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