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कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582
आईएसबीएन :9781613015551

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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।


वर्षा अधिक होने से पहाड़ी नाले बह निकलते हैं तो रास्ता घंटों तक बन्द हो जाता है।"

यह सुनकर अंजना के मुंह से एक हल्की-सी 'उफ' निकल गई। वह एक ऐसे राही की तरह इधर-उधर देखने लगी जो अपना रास्ता भूल गया हो और उसे अपनी मंजिल का कोई पता न हो।

नौजवान ने उसकी घबराहट को देखते हुए कहा-''आप चाहें तो कुछ घंटे मेरे यहां रुक सकती हैं।"

अंजना ने चिताग्रस्त भाव से उसकी ओर देखा तो नौजवान हड़बड़ाकर बोला-"जी! मेरे यहां से मेरा मतलब है मेरा घर। लगभग दो मील होगा यहां से।''

''आप...?''

''मैं इस एरिया का फारेस्ट आफिसर हूं और मेरा नाम कमल है।"

उसका नाम सुनते ही अंजना ने अपनी निगाहें उठाकर उसकी ओर देखा। कमल उसके चेहरे पर छाए भावों को समझता हुआ बोला-''घबराइए नहीं, आपको नैनीताल तक कुशलता से पहुँचा दिया जाएगा। सब प्रबन्ध हो जाएगा। आइए, कहीं बच्चे को सर्दी न लग जाए।''

अंजना इंकार न कर सकी। इसके सिवा कोई चारा भी न था। कमल ने ज्योंही टैक्सी का दरवाजा खोला, अंजना बच्चा संभाले नीचे उतर आई और कमल का इशारा पाकर जीप में बैठ गई। कमल ने टैक्सी से उसका सामान निकालकर जीप में रख दिया।

कमल के स्टीयरिंग पर बैठते ही अंजना ने पूछा-''इस टैक्सी का क्या होगा?''

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