ई-पुस्तकें >> कटी पतंग कटी पतंगगुलशन नन्दा
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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।
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''मालूम होता है आपको कहीं देखा है मैंने!''
कमल ने अंगीठी में लकड़ी डालते हुए कहा और पलटकर अंजना की ओर देखने लगा जो आरामकुर्सी पर बैठी आग ताप रही थी। वह इस बात पर सिर से पांव तक कांप उठी और ठिठुरती आवाज में बोली-''जी नहीं, मैंने आपको कभी नहीं देखा।''
''क्या नाम बताया था आपने अपना?''
''पूनम।'' बड़े मद्धिम स्वर में उसने जवाब दिया।
''कहां रहती है आप, नैनीताल में?''
''वहां पहली बार जा रही हूं।''
''और इसीलिए आपने अकेले ही टैक्सी से यह रास्ता तय करने का फैसला किया था। आपको मालूम नहीं, यह जंगल बड़ा खतरनाक है!''
''वह मेरी गलती थी। भगवान ने मेरी पुकार सुन ली जो आप मदद को आ पहुंचे। अगर आप न आते तो...''
''तो आप अपना सब कुछ खो बैठतीं-यह रुपया, यह जेवर और अपने-आपको भी।''
कमल यह कहते-कहते पल-भर के लिए चुप हो गया और अंजना की मोटी-मोटी आंखों में झांकने लगा जिनमें अंगीठी के अंगारों का प्रतिबिंब था।
कमल ने बात पूरी करते हुए कहा- ''यहां के लोग बस चार पैसों के लालच में किसी की जिन्दगी लेने में नहीं चूकते।''
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