ई-पुस्तकें >> कटी पतंग कटी पतंगगुलशन नन्दा
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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।
अब वह ड्राइवर से भी घबराने लगी। कहीं वह उससे कोई और अनाप-शनाप सवाल न कर बैठे। अत: वह बच्चे को चुप कराने का एक और असफल प्रयत्न करने लगी।
वर्षा थम चुकी थी। अंजना ने टैक्सी रोकने के लिए कहा। ड्राइवर ने ब्रेक लगा दिया और सड़क के किनारे टैक्सी रोक दी। अंजना ने दबी जबान से सामने के टी स्टाल से दूध लाने के लिए कहा और टैक्सी ड्राइवर टैक्सी से उतरकर टी-स्टाल की ओर बढ़ चला।
''ठहरो।''
अंजना की बारीक आवाज सुनकर वह रुक गया। उसने पलट कर देखा। अंजना बैग में से पैसे निकालकर उसे देने लगी थी। बैग खुलते ही टैक्सी ड्राइवर की आंखें फटी की फटी रह गईं। उसने बैग में रखे हुए नोटों का एक पुलिंदा और जेवरात की एक झलक देखी और दस का एक नोट लिए वह टी-स्टाल की ओर चल पड़ा।
थोड़ी ही देर में वह दूध ले आया। अंजना ने दूध के कुछ घूंट बच्चे के मुंह में डाल दिए। बच्चा भूख से ही बिलख रहा था। दूध पीते ही उसे चैन आ गया और वह फिर अंजना की ओर देखकर मुस्कराने लगा। उसकी मुस्कराहट एक बिजली बनकर उसके दिल पर कोंदी। उसे फिर पूनम की याद आ गई। कितनी समानता थी इस बच्चे और इसकी मां के होंठों की मुस्कराहट में! यह देखकर वह तड़प उठी।
टैक्सी फिर उसी सड़क पर भागी जा रही थी। राजीव गाड़ी के हिचकोलों के कारण अंजना की गोद में सो गया था। वह चुपचाप बैठी अपनी उघेड़बुन में व्यस्त थी।
टैक्सी ड्राइवर अब सामने की खुली सड़क पर नहीं देख रहा था। उसकी निगाहें सामने लगे आईने पर जमी हुई थीं। वह बड़े ध्यान से अंजना के प्रतिबिंबित चेहरे पर छाए भावों का अध्ययन कर रहा था।
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