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कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582
आईएसबीएन :9781613015551

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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।


पूनम तो अब इस धरती पर रही नहीं लेकिन उसकी प्रतिच्छाया ने अंजना को घेर रखा था। यह बच्चा, उसका सामान उसके आभूषण और उसकी सारी निशानियां अस्पताल के कार्यकर्ताओं ने बटोरकर उसे सौंप दी थीं। उसके बदले में उसने पूनम के नाम से एक कानूनी गारंटी बांड भरकर उन्हें दे दिया था।

वह ज्यों-ज्यों उस रास्ते पर बढ़ रही थी, उसका अतीत उसे छोड़कर उस कुहरे में गुम होता जा रहा था। वह अंजू से पूनम बन चुकी थी।

पूनम के बैग में उसके पति की तस्वीर और ससुराल वालों के कई खत थे जिनको पढ़कर वह उनके बारे में बहुत कुछ समझने लग गई थी, लेकिन फिर भी न जाने किस भय से वह भयभीत भी हो रही थी।

सफर के दो-चार मील और कम हो गए। अचानक राजीव की आंख खुल गई और वह भूख से बिलखने लगा। कोशिश करने पर भी रानीखेत में अंजू को दूध का डिब्बा न मिला था और उसने बच्चे को ब्रांडी की कुछ बूंदें पिलाकर सुला दिया था, लेकिन अब उसकी चिल्लाहट उसे फिर परेशान करने लगी। उसने चुप कराने की बहुतेरी कोशिश की लेकिन वह चुप न हुआ।

''शायद इसे भूख लगी है बीबीजी!'' टैक्सी ड्राइवर ने हमदर्दी जताते हुए कहा।

''जानती हूं, लेकिन क्या करूं?''

''मां का दूध नहीं पीता क्या?''

''नहीं।'' स्वत: उसकी जबान से निकल गया और इसके साथ ही वह सुन्न-सी होकर रह गई। इस 'नहीं' के पीछे गहरा रहस्य था।

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