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कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582
आईएसबीएन :9781613015551

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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।


''क्यों...? क्यों नही हो सकता?''

''मेरा मतलब है वह...वह उस घराने की विधवा बहू कैसे हो सकती है?''

''यही तो मुझे सिद्ध करना है कि वह उनके बेटे की विधवा नहीं है। वह तो एक बरस पहले गाड़ी की दुर्घटना में मर चुकी है।''

''ओ, आई सी! फिर तो यह काम बहुत ही आसान है।''

''कैसे?''

''...लेकिन मिस्टर कमल! कहीं ऐसा तो नहीं होगा कि आप की सहायता करते-करते मैं किसी चक्कर में फंस जाऊं?''

''कभी नहीं यह तो एक इंसानी फर्ज़ होगा डाक्टर।''

''उस औरत को डिप्टी साहब की मौत से क्या सम्बन्ध है, यह तो मैं नहीं जानता, लेकिन इतना जरूर जानता हूं कि वह विधवा नहीं है।''

''वह कैसे?''

''वह मां बनने वाली है।''

''डाक्टर!'' कमल यह सुनकर एकदम चौंक उठा और फिर डाक्टर के दोनों हाथों को अपने हाथों में लेकर वह उसको धन्यवाद देते हुए बोला-''वह शायद इसीलिए यहां आई थी!''

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