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कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582
आईएसबीएन :9781613015551

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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।


''शबनम...?'' डाक्टर उलझन में पड़ गया।

''वह औरत जो अभी-अभी आपके दवाखाने से गई है।''

''मेरे लिए तो वह बस एक रोगी है।''

''कैसी रोगी-? मेरा मतलब है क्या बीमारी है उसे?''

''सॉरी! मैं एक डाक्टर हूं और किसी रोगी के बारे में इस तरह की बातें बताना उचित नहीं समझता।''

''ठीक है-लेकिन यह भी तो सोचिए कि आपकी थोड़ी-सी सहायता किसी को फांसी के फंदे से बचा सकती है।''

लेकिन उसकी बीमारी से डिप्टी साहब की मौत का क्या संबंध हो सकता है?''

''हो सकता है-क्योंकि इसी दवा से उनकी मौत हुई है जिसे आपने इस औरत के लिए तजवीज किया था और जिसे बारह सितम्बर को आपके नुस्खे पर नेशनल मेडिकल स्टोर्ज़ से खरीदा गया। इस शीशी का नम्बर उस नुस्खे पर मौजूद है।''

डाक्टर काशीनाथ चुप हो गया और बड़े गौर से कमल के चेहरे को पढ़ने लगा जो वास्तविकता जानने के लिए बेचैन था-और किसी सी०आइ०डी० अफसर की तरह पूछताछ कर रहा था। जब डाक्टर काफी देर तक कुछ न बोला तो कमल ने उसे अंजना की गिरफ्तारी की पूरी घटना सुना दी और जैसे ही उसने भावुकता में बहकर अंजना के जीवन की भीख मांगी और यह बताया कि अब शबनम उस घराने की विधवा बहू होने का दावा कर रही है, डाक्टर सटपटा गया और चिल्लाकर बोला-''नहीं यह कैसे हो सकता है?''

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