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कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582
आईएसबीएन :9781613015551

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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।


'''डाक्टर ने इन्कार कर दिया है।''

''लेकिन तुमने...''

''सब कुछ कहा, लेकिन वह पैसे के लिए अपने उसूल तोड़ने को तैयार नहीं।'' शबनम ने गंभीरता से कहा और गली की पथरीली ढलान पर बढ़ने लगी-। शबनम की बात सुनकर बनवारी के तन-बदन में आग लग गई। वह गुस्से में बड़बड़ाता हुआ उसके पीछे-पीछे चल दिया।

कमल अंधेरे कोने से बाहर निकला और जीने के पास खड़े होकर उन दोनों की ओर देखने लगा जो एक-दूसरे के लिए अजनबी-से बने हुए तेज-तेज कदमों से ढलान पर चले जा रहे थे। उनकी बातचीत ने कमल को सन्देह में डाल दिया था। वह देर तक खड़ा उनकी ओर देखता रहा। जब वे नजरों से ओझल हो गए तो उसने भी रुख बदला और कुछ सोचकर जीना चढ़ गया।

डाक्टर काशीनाथ दवाखाना बन्द करने जा रहा था कि नवागंतुक को भीतर आते देखकर रुक गया। ''आइए-आइए,'' उसने कहा।

कमल ने एक कुर्सी का सहारा लेते हुए कहा-''डाक्टर! आई नीड यूअर हेल्प (मुझे आपकी सहायता की जरूरत है)।''

''यस! वट कैन आई डू फार यू (कहिए मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूं)?''

''मुझे एक नुस्खा चाहिए-इन गोलियों के लिए।'' उसने जेब से वही खाली शीशी निकालकर दिखाई।

''यह तो नींद के लिए है।''

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