ई-पुस्तकें >> कटी पतंग कटी पतंगगुलशन नन्दा
|
7 पाठकों को प्रिय 38 पाठक हैं |
एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।
''वह भेद-जो डिप्टी साहब ने कुछ दिन पहले मुझे बताया था। अंजना वही लड़की है, कमल, जो कभी मेरी बहू बनने वाली थी। जिसे ब्याहकर तू अपने घर लाने वाला था-जिसके चले जाने से हमारी रुसवाई हुई थी।''
यह सुनकर जैसे कमल के पांव तले से जमीन निकल गई। पिता ने पुत्र को पुन: विश्वास दिलाया कि वे यह सब कुछ जानते थे। इसीलिए उन्होंने उसे बहू बनाना स्वीकार कर लिया था। डिप्टी साहब ने उसे पुन: बसाने का वचन दे रखा था।
होनी का यह अनोखा खेल कुछ देर के लिए कमल की समझ में न आया।
केदार बाबू ने जब बेटे को उलझन में पड़े देखा तो उसकी शंका दूर करने के लिए उन्होंने अंजना का वह पत्र उसके सामने रख दिया जो कभी उसने कमल को लिखा था। कमल परेशान नजरों से वह पत्र पढ़ने लगा और फिर धीरे-धीरे अंजना का समस्त जीवन उसपर प्रकट हो गया। पत्र पढ़कर वह विचित्र बहकी-बहकी नजरों से अपने पिता और शान्तिदेवी की ओर देखने लगा।
''हां कमल-यह सब कुछ उसने तुम्हें लिख दिया था, लेकिन यह पत्र डिप्टी साहब के हाथ लग गया और उन्होंने इसे तुम तक न पहुंचने दिया।''
''क्यों?''
''कहीं सचाई जानकर तुम उसकी कठिन तपस्या को न ठुकरा दो। यह आराधना थी उसकी तुम्हें पाने के लिए।''
|