ई-पुस्तकें >> कटी पतंग कटी पतंगगुलशन नन्दा
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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।
''आपका नाम पूनम है ना?'' तिवारी ने सहसा प्रश्न किया।
''जी।''
''आज एक अनोखा केस आया है अपने पास।''
''कैसा केस?''
''किसीने डिप्टी साहब के घराने पर कीचड़ उछालने की कोशिश की है।''
''कौन है वह?''
तिवारी ने देखा उसके ललाट पर पसीने की बूंदें जम गई थीं। वह कुछ धण तक उसकी उखड़ी नजरों को भांपता रहा।
''यूं तो इस केस का वास्ता आपसे ही है, लेकिन डिप्टी साहब की आज्ञा बिना मैं आपसे कोई प्रश्न करना उचित नहीं समझता।''
''ऐसी क्या बात है! कहिए ना! संभव है ऐसे अवसर पर यह बात उनसे न कही जा सके। वे दिल के मरीज हैं।'' रुक-रुककर अंजना कहती गई-''और फिर आप जानते ही हैं कि ऐसी-वैसी कोई बात सुनकर उनकी बीमारी बढ़ भी सकती है।''
''घर पर मांजी हैं?''
''नहीं, वे हरिद्वार गई हैं। बस, दो-एक दिन में आ जाएंगी।''
''और कोई?''
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