लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> कटी पतंग

कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582
आईएसबीएन :9781613015551

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

38 पाठक हैं

एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।


वह चुप हो गई। आने वाला उसकी घबराहट का अनुमान लगाता रहा। कुछ देर बाद बोला-''आप उनकी बहू हैं ना?''

''जी।''

''मेरा नाम तिवारी है। उनका पुराना सेवक हूं।''

''लेकिन पहले तो मैंने आपको कभी नहीं देखा!''

''हां, आप तब आईं जब मैं लखनऊ में था, रेलवे पुलिस में। अब फिर नैनीताल आ गया हूं।''

पुलिस का नाम सुनते ही उसके पांव तले की जमीन सरक गई। एक अजनबी और वह भी पुलिस वाला! ऐसे अवसर पर तो उसकी जिंदगी खतरनाक से खतरनाक मोड़ ले सकती है! यह सोचते ही वह सिर से पांव तक कांप गई।

''तो क्या आप पुलिस की नौकरी करते हैं?'' उसने अपने हृदय की उथल-पुथल को शांत करने के लिए उस बात की पुष्टि करनी चाही।

''जी हां, पहले रेलवे पुलिस में था और अब सी० आई० डी० में हूं। शेखर तो बस पांच-छ: बरस ही छोटा था मुझसे।''

अंजना के चेहरे पर एक रंग आ रहा था और दूसरा जा रहा था। वह उसकी निगाहों का अधिक देर तक सामना न कर सकी और हाल में इधर-उधर घूमकर बेतरतीब चीजों को ठीक से रखने लगी। उसमें वहां से निकलने का साहस नहीं था। वह डर रही थी कि कहीं दोस्ती का दम भरते हुए यह सी० आई० डी० इंस्पेक्टर बाबूजी के कमरे में न चला जाए।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book