लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> कटी पतंग

कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582
आईएसबीएन :9781613015551

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

38 पाठक हैं

एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।


रमिया अकेली नहीं थी। उसके साथ कोई और भी था जिसे आज से पहले अंजना ने कभी नहीं देखा था। वह फटी-फटी नजरों से आने वाले को देखने लगी।

''बाबूजी से मिलने आए हैं।'' रमिया ने कहा।

''आप-?''

''उनका दोस्त हूं। एक काम से हाजिर हुआ हूं।''

अंजना ने हाथ की ट्रे रमिया को दे दी और उसे वापस जाने का इशारा किया। वह अभी तक आने वाले को भाप रही थी।

''घर पर तो हैं डिप्टी साहब'' उसने पूछा।

''जी, हैं तो लेकिन उनकी तबीयत ठीक नहीं है। डाक्टर ने मिलने से मना कर रखा है।

''मैं तो एक बहुत जरूरी काम से आया था। जरा उन्हें सूचना तो दे दीजिए।''

''अभी संभव नहीं है। वे सो रहे हैं। जगाना उचित नहीं है।''

''ओह! कोई बात नहीं, मैं उनके जागने तक इन्तज़ार कर लूंगा।'' वह यह कहते हुए आराम से सोफे पर बैठ गया।

उसकी जिद देखकर अंजना की घबराहट बढ़ गई। फिर भी उसने हिम्मत से काम लिया और बोली-''आप चाय लेंगे या कॉफी?''

''कुछ नहीं धन्यवाद।''

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book