ई-पुस्तकें >> कटी पतंग कटी पतंगगुलशन नन्दा
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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।
''डरती तो कमल बाबू से क्यों प्रेम करती?''
रमिया की बात सुनते ही वह गंभीर हो गया और क्षण-भर के लिए उसकी आंखों की समझ बुझ गई।
इतने में अंजना की पुकार सुनाई दी। रमिया ने जल्दी से गिलास साफ करके चूल्हे के पास रखा और दूध के उबाल की ओर देखने लगी। इधर बनवारी डरकर किवाड़ के पीछे छिप गया।
रमिया उसकी ओर देखकर बोली-''घबराओ नहीं, वह यहां नहीं आएगी।''
''क्यों?''
''बाबूजी बीमार हैं, वह उनके पास बैठी है।''
''क्या हुआ है उन्हें?''
''दो दिन पहले अचानक कुर्सी पर बैठे-बैठे गिर पड़े थे। डाक्टर कहता था कि दिल का दौरा पड़ा था।''
''अब क्या हाल है?''
''बिस्तर पर पड़े-पड़े आराम कर रहे हैं। तभी तो काम बढ़ गया है। अभी बच्चे को सुलाके आई हूं और अब बुड्ढे को दूध देना है।'' वह फिर क्रोधित हो उठी।
उसने गिलास में दूध डाला और दूसरे बर्तन में बार-बार उलट-पलटकर ठंडा करने लगी।
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