ई-पुस्तकें >> कटी पतंग कटी पतंगगुलशन नन्दा
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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।
''सोना चाहती हूं लेकिन नींद नहीं आती डाक्टर!'' शबनम ने रुक-रुककर कहा।
डाक्टर ने उसकी नब्ज़ दुबारा देखी और कागज के पुर्ज़े पर नुस्खा लिखते हुए बोला-''यह नींद की दवा है। चौबीस घंटे में केवल एक गोली। दूसरी गोली बिना मुझसे पूछे न दी जाए।''
नुस्खा देकर डाक्टर चला गया। बनवारी उस पर्ची को पकड़े उसी कुर्सी पर बैठ गया जिसपर डाक्टर बैठा था और चुपचाप शबनम के बाल सहलाने लगा।
''क्या बात है बनवारी?''
''कुछ नहीं।''
''इतने उदास क्यों हो? क्या फिर अंजू से झड़प हो गई?''
''नहीं शिब्बू! अब तो झड़प अपने-आपसे हो रही है।''
''तो क्यों नहीं वह रास्ता छोड़ देते जिस पर चलने से तुम्हारा मन तुम्हें कोसता है?''
''यह इतना आसान नहीं है शिब्बू!''
यह कहकर वह अपनी जगह से उठा। सामने की अलमारी से शराब की बोतल निकाली, उसका कार्क हटाया और बोतल मुंह से लगाकर कुछ घूंट हलक में उंडेल लिए। फिर उसने एक तिरछी नजर शबनम पर डाली और वह नुस्खा लिए कमरे से बाहर निकल गया।
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