ई-पुस्तकें >> कटी पतंग कटी पतंगगुलशन नन्दा
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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।
''यह झूठ है।'' वह तिलमिला उठा।
''बिल्कुल सच है। मैंने अपने कानों से सुना है। डिप्टी साहब ने कमल के बाप से कहा है।''
''एक विधवा की शादी! नामुमकिन!''
''बाबू! अगर तुम विधवा से छुपछुपकर प्यार करने आ जाते हो, तो वह शादी क्यों नहीं कर सकती?''
तभी अन्दर से किसी ने रमिया को पुकारा और वह हड़बड़ाकर उठी।
''हाये! मर गई! बाबूजी के दूध का वक्त हो गया।'' यह कहते ही वह वहां से अन्दर भागी।
बनवारी ने सिर उठाकर अंजना के कमरे की ओर देखा जिसकी खिड़की पर पड़े हुए पर्दे में से रोशनी छन-छनकर बाहर आ रही थी। वह दांत पीसता हुआ बाहर चला गया।
जब वह होटल के कमरे में पहुंचा तो डाक्टर शबनम को देख रहा था। उसे पिछले दो दिन से बड़ा तेज बुखार था।
डाक्टर ने तसल्ली देते हुए कहा कि मामूली नजले का बुखार है। दो-एक दिन में ठीक हो जाएगा।
बनवारी ने बताया-''डाक्टर! पिछले दो दिन से यह एक पल के लिए नहीं सोई।''
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