ई-पुस्तकें >> कटी पतंग कटी पतंगगुलशन नन्दा
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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।
''अच्छा हुआ आप आ गईं। इनके पास किसी न किसी का होना बहुत जरूरी है।''
''कैसी तबीयत है अब इनकी?''
''खतरे से खाली नहीं है। थोड़ी ही देर पहले इन्होंने जहर खाने की कोशिश की थी।''
डॉक्टर की यह बात सुनते ही अंजना के दिल को एक धक्का लगा। वह सिर से पांव तक कांप उठी।
डॉक्टर ने नम्र भाव से समझाया कि वह उसे पलभर के लिए भी अकेले छोड़कर कहीं न जाए।
इतने में एक नर्स भागती हुई डॉक्टर के पास आई और उसे किसी और रोगी की ओर लेकर चली गई। उसकी हालत शायद बिगड़ गई थी। डॉक्टर चला गया लेकिन अंजना को एक अनोखी उलझन में डाल गया। वह स्वप्न में भी नहीं सोच सकती थी, पूनम की कभी ऐसी दुर्दशा भी होगी कि वह विषपान के लिए विवश हो जाएगी।
अंजना का दिल भर आया लेकिन वह मजबूर थी। उसके वश में कुछ न था। वह उसकी दर्दभरी और विकल दशा देखकर चीख उठती लेकिन रोगियों की हृदय-विदारक हाय-हाय से वातावरण इतना वेदनापूर्ण था कि वह उसे और अधिक वेदनात्मक नहीं बनाना चाहती थी। अत: पूनम से निगाहें हटाकर अंजना ने उस मासूम बच्चे की ओर देखा जो आराम से सोया हुआ था। उसके बदन पर तनिक चोट भी नहीं आई थी। शायद उसे बचाते-बचाते पूनम अपना सब कुछ खो बैठी थी।
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