लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> कटी पतंग

कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582
आईएसबीएन :9781613015551

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

38 पाठक हैं

एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।


उसने इसका कोई उत्तर नहीं दिया क्योंकि अंजना उसके पास ही चाय का प्याला लिए आ खड़ी हुई। उसने पलटकर उस झेंपी हुई मूरत को देखा और प्याला उसके हाथ से ले लिया।

''तबीयत तो ठीक है आपकी बहू की?'' उसने लालाजी से प्रश्न किया।

''क्यों?''

''पहले कभी इतना गंभीर नहीं देखा।''

''तुम्हें देखते ही गंभीर हो गई है। अकेले जो आए हो।''

बाबूजी की इस बात पर दोनों चौंक पड़े।

''इसकी हम जोली शालो जो यहां से चली गई।'' उन्होंने बात पूरी कर दी। कमल इसपर मुस्करा पड़ा और चाय के हल्के-हल्के घूंट भरने लगा।

इतने में अंजना ने अंडा छील दिया। नमक और काली मिर्च की शीशियों के साथ तश्तरी में सजाकर रख दिया और इससे पहले कि कमल कोई और बात करता, वह बाबूजी के मैले कपड़े उठाकर कमरे से बाहर चली गई।

''बहू ने आकर तो मेरे घर को स्वर्ग बना दिया है कमल!''

''अपना-अपना भाग्य है!''

''इसीलिए तो कहता हूं बेटा! अपना भाग्य बदल लो, शादी कर लो।''

''हां चाचाजी! आप ठीक कहते हैं। मैं भी सोचता हूं कि अपना भाग्य बदल डालूं और घर वालों की इच्छा पूरी कर दूं।''

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book