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कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582
आईएसबीएन :9781613015551

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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।


अंजना ने चाय का प्याला बाबूजी के सामने रखा और उनके लिए अंडा छीलने लगी।

कमल उसकी निष्ठुरता देखते हुए बोला-''एक प्याला चाय हम भी पीएंगे।''

अंजना ने अंडे को वहीं छोड़ दिया और उसके लिए चाय का पानी रखने लगी।

''कहो, कैसे हैं तुम्हारे डैडी? बिल्कुल मतलबपरस्त हो गया है अब हमारा दोस्त! महीनों खत तक लिखने की फुरसत नहीं मिलती उसे।''

''उन्हीं की खबर लेकर आया था।''

''कुशल तो है?''

''सब कुशल है, बस अपनी शामत आ गई।''

''क्यों?''

''वे अगले हफ्ते यहां आ रहे हैं।''

''वाह! बाप की आमद को शामत कहते हो!''

''उनकी आमद को नहीं उनके इरादों को। मुझे तो अभी से डर लग रहा है।''

''हूं! तो इसलिए कि वे कहीं तुम्हें शादी-ब्याह के बंधन में न जकड़ दें!''

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