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कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582
आईएसबीएन :9781613015551

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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।


''तो मैं अपना हिस्सा नफरत से ही ले लूंगा।'' उसने कठोर स्वर में कहा और उठकर सामने की अलमारी से शराब की बोतल निकाल ली। इससे पहले कि वह पलटता, शबनम खाली गिलास लिए उसके सामने आ गई।

बनवारी ने देखा आज वह एक ही गिलास लिए खड़ी थी। शबनम ने वह गिलास मेज पर रखा और शराबी आंखों से बनवारी की ओर देखने लगी।

बनवारी मुस्कराता हुआ बोला-''क्या इरादा है?''

''इरादा नेक नहीं है।''

''तो लाओ दूसरा गिलास।'' बनवारी ने अपना गिलास भरते हुए कहा।

''आज पीने का मूड नहीं है। तुम तो जानते ही हो, मैं किसी का दुख नहीं बाटती।''

''कौन कहता है कि मैं दुखी हूं!''

''सुखी भी तो नजर नहीं आते।''

''मेरी वेदनाओं से खेलना तूने किससे सीखा है?''

''तुम्हारी चाल ने सब सिखा दिया।''

बनवारी ने भरा हुआ गिलास उसकी ओर बढ़ाया, लेकिन उसने इंकार कर दिया। बनवारी ने जबरदस्ती गिलास उसके मुंह से लगा दिया। वह लड़खड़ाई और गिलास होंठों से अलग करने का प्रयास किया। बनवारी ने उसे बालों से पकड़ लिया और जबरदस्ती उसके हलक में शराब उंडेलने लगा।

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