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कटी पतंग
कटी पतंग
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ :
ईपुस्तक
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पुस्तक क्रमांक : 9582
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आईएसबीएन :9781613015551 |
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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।
अंजना ने बढ़कर सबको नमस्कार किया। बाबूजी ने उस लड़की से अंजना की जान-पहचान करा दी जो कमल बाबू की छोटी बहन थी। शालिनी उसका नाम था।
''प्यार से घरवाले मुझे शालो कहते हैं।'' उसने स्वयं आगे बढ़कर अपना परिचय स्वत: दिया।
बड़ी तत्परता से उसने दूसरी लड़कियों का परिचय करा दिया-''यह है रेखा, यह कुमुद और यह है आशा! मेरे कालेज की सहेलियां हैं।''
अंजना के शांत चेहरे पर एक हल्की-सी मुस्कान बिखर गई। वह बारी-बारी उन लडकियों से मिलने लगी। शालिनी ने जैसे ही रमिया की बांहों में राजीव को देखा, उसे लपककर अपनी गोद में भर लिया और उसे चूमने लगी। दूसरी लड़कियों ने भी नन्हें राजीव से तोतली जबान में बातें करनी शुरू कर दीं।
शांति अब उन लड़कियों को बहू के सुपुर्द करके पूजा के लिए चली गई। बाबूजी ने भी अपनी जिम्मेदारी उसके हवाले कर दी। रमिया जब राजीव को लेकर ऊपर चली गई तो अंजना भी उन लड़कियों को कोठी के पिछले भाग में ले गई। इस भाग में छोटा-सा उपवन था जहां से झील साफ दिखाई देती थी।
घर के आसपास का सुन्दर दृश्य देखकर सब लड़कियां प्रशंसा करने लगीं।
अंजना उन्हें लेकर बाग में लटके हुए झूले पर जा बैठी और बोली-''कब आईं तुम, शालो?''
''कल शाम को।''
''नैनीताल कैसा लगा तुम सबको?''
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