ई-पुस्तकें >> कह देना कह देनाअंसार कम्बरी
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आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें
६६
एक नदी ग़म के आँसू बहाती रही
एक नदी ग़म के आँसू बहाती रही
तश्नगी देख कर मुस्कुराती रही
जानते थे सभी वो गुनहगार था
उसको झूठी गवाही बचाती रही
घर की दहलीज़ क़दमों से लिपटी रही
और मंजिल भी हमको बुलाती रही
मौत थी जिस जगह पर वहीं रह गयी
ज़िन्दगी सिर्फ़ आती-ओ-जाती रही
हम तो सोते रहे ख़्वाब की गोद में
नींद रह-रह के हमको जगाती रही
जन्मदिन की मनाई ख़ुशी तो मगर
ज़िन्दगी उम्र अपनी घटाती रही
रात भर ‘क़म्बरी’ उनको गिनता रहा
याद उसकी सितारे सजाती रही
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