लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> कह देना

कह देना

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :165
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9580
आईएसबीएन :9781613015803

Like this Hindi book 3 पाठकों को प्रिय

278 पाठक हैं

आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें


४९

धूप का जंगल, नंगे पावों


धूप का जंगल,नंगे पावों, इक बंजारा करता क्या
रेत के दरिया, रेत के झरने, प्यास का मारा करता क्या

बादल-बादल आग लगी थी, छाया तरसे छाया को
पत्ता-पत्ता सूख चूका था पेड़ बेचारा करता क्या

सब उसके आँगन में अपनी राम कहानी कहते थे
बोल नहीं सकता था कुछ भी घर चौबारा करता क्या

तुमने चाहे चाँद-सितारे, हमको मोती लाने थे
हम दोनों की राह अलग थी साथ तुम्हारा करता क्या

ये है तेरी और न मेरी, दुनिया आनी-जानी है
तेरा-मेरा, इसका- उसका फिर बँटवारा करता क्या

टूट गये जब बंधन सारे और किनारे छूट गये
बींच भँवर में मैंने उसका नाम पुकारा करता क्या

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book