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कह देना

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :165
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9580
आईएसबीएन :9781613015803

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५०

ज़बाँ पर बद-कलामी आ न जाये


ज़बाँ पर बद-कलामी आ न जाये
कहीं नीयत में ख़ामी आ न जाये

हमारे दिल को तुम छेड़ो न ऐसे
समन्दर में सुनामी आ न जाये

ये कह दो चाँद से छत पर न निकले
सितारों की सलामी आ न जाये

बड़ी जल्दी है दिल को फ़ैसले की
नतीजा दूरगामी आ न जाये

यहाँ बाहर से ताजिर आ रहे हैं
कहीं फिर से ग़ुलामी आ न जाये

कोई रावण हमारे राम दल में
पहन कर रामनामी आ न जाये

यही उलझन है संयोजक को शायद
कोई शायर मुक़ामी आ न जाये

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