लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> कह देना

कह देना

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :165
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9580
आईएसबीएन :9781613015803

Like this Hindi book 3 पाठकों को प्रिय

278 पाठक हैं

आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें


४८

ख़र्च अपनी सारी दौलत कर चुके


ख़र्च अपनी सारी दौलत कर चुके
हम अदा जीने की क़ीमत कर चुके

हम बहुत तुमसे मुरव्वत कर चुके
अब न कर देना हिमाक़त कर चुके

अब वतन से कोई जायेगा नहीं
जिनको करना थी वो हिजरत कर चुके

आओ समझो मसअले को बैठ कर
सारी दुनिया से शिकायत कर चुके

आँख भर आई तो थी माँ-बाप की
रोये जब बेटी को रुख़सत कर चुके

माँ गयी तो हम भी बूढ़े हो गये
ख़ूब करते थे शरारत कर चुके

आईने पर बाल तक आया नहीं
सारे पत्थर ख़ूब कसरत कर चुके

सब बड़े सचमुच बड़े होते नहीं
हम बड़े लोगों की संगत कर चुके

कुछ करो ख़िदमत अदब की ‘क़म्बरी’
ख़ूब लफ्जों की तिजारत कर चुके

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai