ई-पुस्तकें >> कह देना कह देनाअंसार कम्बरी
|
3 पाठकों को प्रिय 278 पाठक हैं |
आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें
१०९
हुजूमे-कशमकश में आदमी घबरा ही जाता है
हुजूमे-कशमकश में आदमी घबरा ही जाता है
उलझ जाती हैं जब राहें तो ठोकर खा ही जाता है
बड़ी मासूमियत से वो मुझे बहका ही जाता है
के उसका जाम मेरे जाम से टकरा ही जाता है
नज़र आया तेरा चेहरा नहीं दिल पर रहा क़ाबू
समन्दर चौदवी के चाँद में इतरा ही जाता है
तेरी यादों ने ऐसा कर दिया जादू मेरे दिल पर
भुलाऊँ लाख फिरभी रूबरू तू आ ही जाता है
कहाँ एक तिफ्ले-मकतब और जनाबे जोश का मिसरा
अजी अश्आर कहने में क़लम है थर्रा ही जाता
|