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फ्लर्ट

प्रतिमा खनका

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :609
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9562
आईएसबीएन :9781613014950

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जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।

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अँगूठे और उँगली के बीच अपना मोबाइल घुमाते हुए मैं पिछले आधे घण्टे से उसके कमरे के एक कोने पर रखी कुर्सी पर बैठा था लेकिन अपना कोई भी सवाल उसके सामने ना रख सका...... वजह थी?

जब मैं उसके पास वापस लौटा वो तब से अपने पति से फोन पर बात कर रही थी। उस रोज पहली बार उसने मेरे सामने अपने पति से बात की। पहली बार मैं उस यामिनी से मिला जो मुझसे ज्यादा किसी और के करीब थी। मैं उसके सामने बैठा था मगर उसे जैसे मुझसे कोई सरोकार ही नहीं था। उसकी वो मुस्कुराहट, उसकी लाड़ जताती वो आवाज, वो अलग सी झेंप जो किसी भी अजनबी के सामने आ जाती है जब हम किसी अपने से प्यार जता रहे हों। हर दूसरे लफ्ज पर वो अपने होठों को हाथों की आड़ में ले रही थी। वो कमरे के हर कोने में जा रही थी ताकि उसके प्यार भरे शब्द उसके और उसके पति के बीच ही रहें, मुझ जैसा तीसरा इन्सान उन्हें ना सुन ले। आज मैं इतना पराया हो गया? मुझे ये सब कुछ चोट पहुँचा रहा था। सबसे ज्यादा दुख इस बात का था कि ये सब कोई बनावट या दिखावा नहीं था...... कम से कम मेरी नजर में तो बिल्कुल नहीं!

कॉल खत्म होने पर उसने मेरी तरफ देखा। शायद अब वो मुझ से कुछ कहना- सुनना चहाती थी लेकिन अब मेरे पास कुछ नहीं बचा था। मैं अपनी जगह से खड़ा हो गया। उसने मेरे सारे सवालों के जवाब पिछले आधे घण्टे में दे दिये थे, एक अलग तरीके से। उसने मेरे सवालों के जवाब नहीं दिये बल्कि उन्हें मार दिया! मेरे अन्दर ही खत्म कर दिया!

वो अब भी किसी लफ्ज, किसी तर्क की उम्मीद में मेरी तरफ देख रही थी। मैंने बस उसकी आँखों में एक बार देखा और दुलार के साथ बस एक बार उसका गाल छुआ-

‘टेक केयर।’

मैं इस घुटन से बचकर भागना चाहता था, जितनी जल्द हो सके! और बर्दाश्त करना मेरे बस में नहीं था। पहले ही काफी झेल चुका था मैं।

मैं वहाँ से बिना किसी से कुछ कहे वापस, मुम्बई आ गया।

उस वक्त मैंने जिन्दगी में पहली बार खुद को इतना बेबस महसूस किया। मुम्बई वापस आकर भी मन का भारीपन कम नहीं हो रहा था। पहली बार किसी की यादों से घिरा हुआ था। पहली बार किसी को सच्चे मन से चाहा था और पहली बार मेरा दिल इस तरह दुंखा था। उसके ख्यालों से बाहर निकलने का एक ही रास्ता मेरे पास था कि मैं अपना ध्यान सिर्फ और सिर्फ काम में लगा लूँ, और मैंने यही किया। जितना काम मैं कर सकता था, उससे ज्यादा ही हाथ में ले लिया। वापस आने के बाद मेरे और यामिनी के बीच बातचीत खुद ब खुद कम हो गयी। हम पहले जितने दूर थे, उससे ज्यादा दूर रहने की कोशिश करने लगे। उसके पास इसकी क्या वजह थी, ये मैं ठीक से नहीं जानता लेकिन मैं उसकी जिन्दगी में अपनी तरफ से कोई तूफान नहीं चाहता था।

अब हम साथ में कम ही दिखते थे। मैं और यामिनी अब तक लोगों की नजरों में एक जोडे़ के तौर पर रहे थे, इसलिए कुछ ही दिनों में हमारे ब्रेक अप की खबरें भी फैल गयीं। वजह किसी को नहीं पता थी। मैंने किसी के सवाल का जवाब दिया नहीं और यामिनी दे नहीं सकती थी। कुछ लोगों के सवालों के जवाब देने की उसने कोशिश भी की, और जवाब देते हुए उसकी आँखें भीग गयी। सबको लगा कि रिश्ता मेरी तरफ से खत्म हुआ है, मीडिया ने इसे भी मेरा फ्लर्ट करार दे दिया।

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