लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> फ्लर्ट

फ्लर्ट

प्रतिमा खनका

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :609
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9562
आईएसबीएन :9781613014950

Like this Hindi book 3 पाठकों को प्रिय

347 पाठक हैं

जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।

39


अस्पताल का माहौल हमेशा ही मेरे लिए घुटनभरा था। मैं बाहर निकल पड़ा। पहाडों पर दिन जल्दी छुप जाता है। चारों तरफ मनहूसीयत भरा अन्धेरा बिखरा। नकारात्मक सा खालीपन और सन्नाटा मेरी पिछली जिन्दगी के एक बेहद मुश्किल एहसास को बार-बार ताजा करता जा रहा था।

अपने ख्यालों में गुम, हाथों को जेब में फँसाये मैं उस अस्पताल के सुनसान आँगन में चहलकदमी करने लगा। बस किसी तरह ये वकत कट जाता!

करीब सात बजे मुझे डॉक्टर ने बुलाया। यामिनी की ब्लड रिपोर्ट डॉक्टर के हाथ में थी।

‘आप लोग जितना समझ रहे थे, वो साँप जहरीला नहीं था। स्नैक फोबिया ही पेशेन्ट की बेहोशी के लिए जिम्मेदार है।’

मेरी साँसें अब चलती महसूस हो रही थीं।

‘तो वो कब तक होश में आयेगी डॉक्टर?’

‘कह नहीं सकते लेकिन इनकी ये बेहोशी बस एक गहरी नींद जैसी समझ लीजिये आप।’

ठीक यही बयान मैंने अनुपम जी को दे दिया। चूँकि यामिनी अब खतरे से बाहर थी इसलिए उन्होंने बाकी का शूट अगली ही सुबह तय कर दिया। उनके क्लाइन्ट को यामिनी या उसकी हालत से कोई मलतब नहीं था। उन्हें बस अपने पैसे की कीमत चाहिये थी वो भी जल्द से जल्द।

मैं अनुपम जी से बात कर ही रहा था कि यामिनी की धीमी बडबड़ाहट ने मेरा ध्यान खींच लिया। मैंने तुरन्त नर्स को बुला लिया।

यामिनी जब तक होश में नहीं थी तब तक मुझे लग रहा था कि उसके होश में आते ही उसे थोड़ी देर गले लगा कर रखूँगा। उससे सब कुछ कह दूँगा लेकिन ना जाने क्यों मैं ऐसा कर नहीं पाया।

सिर्फ एक झूठा गुस्सा ही था मेरे बस में। मैं उस पर सवालों की बरसात कर रहा था और वो अपनी हल्की नशे वाली आवाज में ही मेरे सवालों के जवाब दे रही थी।

‘तुम बिल्कुल पागल हो! तुमको पता था कि वहाँ साँप था...... मुझे बता भी तो सकती थी न? जरूरी था ये रिस्क लेना?’

‘उस वक्त कुछ समझ नहीं आया कि क्या करूँ। अगर मैं ऐसा न करती तो तुम यहाँ लेटे होते मेरी जगह ...समझे।’ वो मुझ पर मुस्कुरायी।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book