ई-पुस्तकें >> फ्लर्ट फ्लर्टप्रतिमा खनका
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जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।
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सारा दिन यामिनी बेहोश ही रही। मुझे और डायेरक्टर को छोड़कर बाकी सब लोग वहाँ से जा चुके थे। यामिनी के घर का कोई नम्बर हमारे पास नहीं था जिससे मैं उनको खबर कर पाता। डायटेक्टर की हालत मुझसे भी ज्यादा खराब थी। उसे एक तरफ यामिनी की चिन्ता थी और दसूरी तरफ अपने बाकी शूट की। लोकेशन पर सारी टीम हमारा इन्तजार कर रही थी। वो हर मिनट में या तो घड़ी देख रहा था या यामिनी का बेसुध चेहरा। घण्टे भर में ही उसने ना जाने कितने चक्कर वार्ड के लगा लिये।
‘उसे वक्त लगेगा अनुपम जी।’ मैंने कहा।
‘हम्म, जानता हूँ।’ उसके चेहरे से फ्रिक गयी नहीं।
‘आपका सेल बज रहा है।’
‘क्लाइन्ट!’
काफी घबराहट के साथ उसने कॉल रिसीव की। कॉल पर वो सिर्फ जवाब दे रहा था। जितना मैं उनकी बातों से समझ सका, क्लाइन्ट को शूट में हुए हादसे की खबर मिल चुकी थी। वो अनुपम जी पर काफी नाराज था। अनुपम जी की बेचैनी और बढ गयी। वो बडबड़ाते हुए मेरे बगल में बैठ गया।
‘जिस वक्त मैंने उनसे कहा कि मैं ये एड कौशानी में शूट करने वाला हूँ तो कितने खुश थे वो लोग और आज!’ वो बेहद थका लग रहा था, जिस्मानी तौर पर नहीं लेकिन हाँ दिमागी तौर पर।
‘आप वापस चले जाईये। मैं यहाँ रुकता हूँ।’
‘लेकिन यामिनी?’
‘आप जरा भी चिन्ता मत करिये। मैं आपको यहाँ की खबर देता रहूँगा।’ मैंने उन्हें जाने के लिए मना लिया।
अब सिर्फ मैं बाकी था यामिनी की तकलीफ देखने के लिए।
खुद मैं बहुत विकल था। यामिनी एक पल के लिए मेरे दिमाग से जा नहीं रही थी। उसकी आँखों की वो दहशत.... फिक्र.... मुझे बचाने की उसकी वो कोशिश! सब कुछ दिमाग में घूमे ही जा रहा था। पिछले दिनों जो कुछ उसने किया मैं सब भूल गया बस याद रहा कि किस तरह उसने अपना प्यार जाहिर किया मुझ पर।
मैं उसके होश में आने का इन्तजार और बेसब्री से करने लगा।
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