ई-पुस्तकें >> फ्लर्ट फ्लर्टप्रतिमा खनका
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जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।
उसने कहा था कि- ‘अंश, मैंने आज से पहले जो कुछ किया वो जल्द ही सब भूल जायेंगे, कोई याद नहीं रखेगा। ये सच है कि मैंने अपनी जिन्दगी बर्बाद कर ली लेकिन अगर मैं अपनी जिन्दगी बर्बाद न करती तो वहाँ मेरा पूरा घर बर्बाद हो जाता। इससे तो अच्छा है कि मैं यहाँ अकेली ही बर्बाद हो लूँ।’
काश उसकी तरह मैं भी इतना स्वछन्द होता! मेरे मन की भावनायें लफ्ज पकड़ ही नहीं पातीं थीं। उसे लेकर मेरे मन में क्या कुछ हलचल होती है उसे कभी बता ही ना सका। उस जिन्दगी में सिर्फ एक दोस्त ऐसा था जिससे मैं काफी हद तक खुद को बाँट पाता था - प्रीती। न जाने वो क्या थी मेरे लिए लेकिन बस इतना था कि मीलों दूर होकर भी उसने अपना रिश्ता बनाये रखा। वो हमेशा की तरह मुझे फोन करती रही चाहे मैं उठाऊँ या नहीं।
वक्त के साथ उसका पागलपन थोड़ा और बढ़ गया था और हमारी दोस्ती भी।
‘प्रीती एक तुम रह गयी हो जो आज तक उतनी ही पागल है। कोमल तक की शादी हो चुकी। तुम कब करोगी?’
‘जिस दिन तुम हाँ कह दोगे उसी दिन कर लूँगी।’ उसकी झेंप में दबी सी हँसी मुझे साफ सुनायी दे रही थी। मुझे भी हँसी आ गयी।
‘तुमको आज तक उम्मीद है?’
‘हाँ, है या शायद नहीं।’ हमेशा की तरह एक बार फिर मजाक के लहजे में उसने अपनी तकलीफ बयान कर दी। मैं मुस्कुरा तो रहा था लेकिन एक दर्द भी उसे लेकर मेरे मन में। क्यों वो एक खुदगर्ज के लिए इन्तजार कर रही थी?
‘तुम क्यों अपना वक्त बर्बाद कर रही हो? पता यहाँ मेरी बहुत सी गर्लफ्रेन्ड्स बन गयी है।’ मैंने उसे चिढ़ाया।
‘तो क्या हुआ?’
‘तो, उनमें से एक को प्यार करने लगा हूँ।’ मैंने चिढाने की कोशिश की।
‘किसे अंश? क्या नाम है उसका?’ उसे कोई फर्क ही नहीं पड़ा।
‘यामिनी।’
‘क्या? वो ही जो तुम्हारे साथ सबसे ज्यादा दिखायी देती है?’
‘हम्म।’
‘मिस्टर अंश सहाय। ये लव-अफेयर्स आप लोगों की लाईफ के बहुत कॉमन चीजें हैं। आज आप इसके साथ और कल किसी और के साथ होगें।’
‘नहीं, प्रीती मुझे ऐसा नहीं लगता।’ इस बार मैं उसे ठेस नहीं पहुँचाना चाहता था, मगर पहुँचा गया। उसकी आवाज में से खनक बिल्कुल खत्म हो गयी।
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