लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> फ्लर्ट

फ्लर्ट

प्रतिमा खनका

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :609
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9562
आईएसबीएन :9781613014950

Like this Hindi book 3 पाठकों को प्रिय

347 पाठक हैं

जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।

35

एक महीने बाद।


आखिरकार वो पल आ गया जिसका हमें इन्तजार था। सेन साहब का एड टेलीकास्ट होते ही मैं एक मशहूर मॉडल बन गया। यामिनी और मुझे एक के बाद एक ऑफर आने लगे, वो भी मुँहमाँगी कीमत पर। इससे पहले मैं सिर्फ कमा रहा था लेकिन अब मैं मशरूफ भी हो गया। संजय और मेरे बीच जो कान्ट्रेक्ट हुआ था वो हमारे लिए बहुत फायदेमंद साबित हुआ। मेरे दिन रात सिर्फ पोर्टीको ही प्लान करता था। ना तो वो कान्ट्रेक्ट साइन करने से पहले मुझसे सलाह लेता और ना ही मैंने कभी उससे क्यों या क्या जैसे सवाल किये। संजय की जान-पहचान से मेरी चमक बढ़ रही थी और जिन लोगों से मैं पर्सनली जुड़ रहा था वो संजय की प्रोफेशनली मदद करते थे।

ये सच है कि मुझे कामयाबी वाकई जल्दी मिल गयी। महज एक-डेढ़ साल में मैं टॉप पर था।

शिमला में भी मेरे नाम की धूम मच गयी। जो लोग दुश्मन हुआ करते थे अब वो भी खुद को मेरा दोस्त बताने लगे। बहुत कम समय मैं काफी नाम और पैसा कमा चुका था, लेकिन कहते हैं न कि पैसा कभी पूरा नहीं पड़ता, हमेशा ही कम लगता है। मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। सबसे जरूरी बात ये थी कि मुझे इस जिन्दगी की आदत हो चुकी थी। मैंने उसी बिल्डिंग के उसी फ्लोर पर अपने लिए एक फ्लैट लिया जिस पर यामिनी रह रही थी। इस बीच मैंने कई बार माँ को मुम्बई आकर मेरे साथ रहने को कहा लेकिन वो नहीं मानी। वो उस घर को सुनसान नहीं करना चाहती थी जिसे उसने कभी सपनों की तरह सजाया था और साथ ही उसे यकीन था कि अंश वापस अपने घर लौट आयेगा। उसके मुताबिक मैंने सही रास्ता चुना था और गलत रास्तों की ना तो कोई उम्र होती है ना मंजिल।

शायद मैं वाकई गलत राह पर था। खून के रिश्ते धुंधलाने लगे थे और दुनियादारी के करीब आने लगे। यामिनी और मैं भी काफी करीब आ चुके थे लेकिन तब भी हमारा रिश्ता सिर्फ आँखों या दिल में ही था। उसने मुझसे कुछ कहा नहीं और मुझमें कहने की हिम्मत नहीं थी। मैं तब भी एक सीमा-रेखा पर खड़ा था और ये तय नहीं कर पा रहा था कि आगे जाऊँ या नहीं?

कितने ही जन्म दिन, नये साल मैंने और यामिनी ने साथ में मनाये। उसने मुझे अपने बारे में सब कुछ बता दिया। जो कुछ भी उसने किया था वो सब उसकी कुछ परिवार की परेशानियों को दूर करने के लिए लिये किया। उसकी कही एक बात मेरे मन में इस तरह जम गयी थी कि अब मैं उसे गलत नहीं ठहरा सकता था।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book