ई-पुस्तकें >> फ्लर्ट फ्लर्टप्रतिमा खनका
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जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।
मुझे उम्मीद नहीं थी कि मुझे कोमल की बातों से इतनी चोट लग सकती हैँ। दिल उसका टूटा था लेकिन तकलीफ मुझे हो रही थी।
उसी शाम हमारा एक्जॉम का रिजल्ट भी आ गया। मैं द्वितीय श्रेणी से पास हो गया था। अब मैं अपनी जिन्दगी की कोई भी राह चुनने के लिए आजाद था। सबसे पहले मैंने ये कॉल सेन्टर का जॉब छोड़ दी और फिर मैंने मुम्बई शिफ्ट होने का फैसला किया। यामिनी मुझे पहले ही बता चुकी थी कि जिस एड का इन्तजार उसे था वो फाइनल हो चुका है। संजय और यामिनी दोनों ने मुझे एक ही बात समझायी और वो ये कि मैं मुम्बई में रहकर अपने घरवालों की ज्यादा मदद कर सकता हूँ। मैंने पढ़ाई प्राईवेट करने की ठान ली थी और बस, अब अपना ज्यादा से ज्यादा वक्त कमाई को देना चाहता था। सारा ध्यान सिर्फ अपनी जिन्दगी पर देना चाहता था। मैं चाहता था कि कुछ अच्छा सैटेल हो जाऊँ ताकि मम्मी को उस नौकरी से मुक्ति मिले।
मैं मुम्बई आ गया। संजय ने यामिनी को लेकर जो काम मुझे सौंपा था, उसके लिए मेरे मन में हाँ या ना नहीं थी। संजय का फ्लैट पहले की तरह खाली था। यामिनी ने मुझे दोबारा वहीं रुकने को कहा। कम से कम तब तक, जब तक कि मैं अपने लिए खुद का फ्लैट न ढूँढ़ लूँ।
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