ई-पुस्तकें >> फ्लर्ट फ्लर्टप्रतिमा खनका
|
3 पाठकों को प्रिय 347 पाठक हैं |
जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।
‘हाँ। तो? तुम जैसा इतना अच्छा लड़का जिस पर स्कूल की सारी लड़कियाँ फिदा थीं, छोटी से लेकर बड़ी तक! जिसका एक अफेयर खुद से बड़ी लड़की के साथ भी रह चुका है, वो मुझे इतना क्यों पूछेगा? आज की तारीख में यामिनी और प्रीती जैसी खूबसूरत और अमीर लड़कियाँ उसके लिए पागल है। और सबसे बड़ी बात कि वो एक उभरता हुआ मॉडल है, वो मुझे क्यों प्यार करेगा अंश? बोलो?’
‘नहीं तुम बोलो कोमल, मैं सुन रहा हूँ,... जब तक सुन सकता हूँ, कहो।’ उसकी बातें मेरा सब्र तोड़ने लगीं।
‘अंश तुम अब कुछ भी कह लो लेकिन मैं इस बात का यकीन चाहकर भी नहीं कर पा रही कि तुम प्यार के चलते मेरे साथ हो। अगर तुम मेरे साथ इसलिए नहीं हो कि मुझे इस्तेमाल कर सको तो कम से कम इसलिए भी नहीं हो कि तुम मुझे चाहते हो। मुझे याद है कि तुमने मुझे किन हालात में ‘लव यू’ कहा था। अब मैं इस झूठी उम्मीद में और नहीं रह सकती। मुझे मेरे हाल पर ही छोड़ दो।’ वो टूट सी रही थी।
‘कोमल तुम बस इतना बताओ कि तुम मेरे बिना खुश रह लोगी?’
उसने जवाब देने में थोड़ा वक्त लिया और- ‘हाँ, रह लूँगी। कुछ दिन बुरा लगेगा लेकिन... लेकिन पता नहीं कितने लोग ऐसे रह लेते हैं। मैं हमेशा से जानती थी कि मैं तुम्हारे लायक नहीं हूँ लेकिन तुमने मुझे गलतफहमी दी! तुमने मुझे धोखे में रखा! फ्लर्ट किया है मेरे साथ! तुम्हें अच्छा लगता है न कि तुम्हारे चारों तरफ लड़कियाँ मॅड़राती रहें। इसी तरह के प्रोफेशन में जा रहे हो न तुम? एक तरफ मैं, दूसरी तरफ प्रीती, फिर वो यामिनी। और भी पता नहीं कितनी लड़कियाँ होगी, जिनके साथ तुम्हारा अफेयर चल रहा होगा। सही सुना था तुम्हारे बारे में अंश, तुम फ्लर्ट ही हो!’
मैंने कॉल काट दी। कोमल की आवाज में भावनाएं लगातार बदल रही थी। कभी दुःख, कभी मायूसी और कभी गुस्सा उसकी आवाज में मिल जाता था। ये जाहिर था कि उसे कुछ भी कहने का कोई फायदा नहीं होना है। आप किसी की सोच बदल सकते हैं लेकिन विश्वास नहीं और मैं एक फ्लर्ट हूँ ये उसका विश्वास था।
|