ई-पुस्तकें >> फ्लर्ट फ्लर्टप्रतिमा खनका
|
3 पाठकों को प्रिय 347 पाठक हैं |
जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।
18
पन्द्रह मिनट बाद।
हम पेट्रोल भरवाले के लिए एक पेट्रोल पम्प पर रूके। नेहा बैचेन सी थी। उसके चेहरे पर तनाव था। अन्दर ही अन्दर मन में वो कुछ प्लान कर रही थी... और मैं भी। नेहा को टालने का उस वक्त बस एक ही रास्ता मुझे सूझा और वो ये कि मैं किसी और को अपने साथ बैठा लूँ।
मैं मनोज को अपने साथ चलने को कहता लेकिन वो शोभा के साथ के मशरूफ था। उन दोनों के बाद मेरी नजर कोमल पर गयी जो कानों में एयरपीस फँसाये, आँखें बन्द किये मोबाइल पर गाने सुन रही थी। मैंने थोड़ा सोचा और कुछ देर बाद-
‘कोमल यार प्लीज तुम जानती हो न उसकी आदत, वो अभी आकर फिर दिमाग खायेगी। इधर इसे झेलना पडे़गा और वहाँ वो समीर के टफ लुक्स!’
‘ये तो समीर से कहो अंश, वो ही लाता है उस बला को अपने साथ।’ कोमल ने मुझ पर हँसते हुए कहा।
‘क्या कहूँ उसे? वो देख तो रहा है सब कुछ। पहले ही जला भुना रहता है, मैं उसे और चिढ़ाना नहीं चाहता। प्लीज कोमल।’
‘ठीक है, वो लोग आ रहे हैं उनके सामने मुझे कह देना मैं आ जाऊँगी।’
‘कोमल, वो जब मेरे साथ चलने की जिद कर रही थी तब मैंने उसे कहा कि मैं नहीं ले जा सकता अब तुमको चलने को खुद से कहूँगा तो सच में दिक्कत हो जायेगी। तुम खुद नहीं आ सकती?’ मैंने उसे अपनी दुविधा बतायी।
‘ओ के, ओ के, आती हूँ।’
नेहा गाड़ी में बैठी थी लेकिन उसके कान हम पर ही लगे थे। उसने पूरी कोशिश की होगी हमारी बातें सुनने की।
कोमल जैसे ही अपना पर्स लेकर मुझ तक पहुँची, नेहा ने बबाल मचा दिया।
उसने अपना गुस्सा पहले मुझ पर, फिर समीर पर और फिर कोमल पर निकाला। उसे खुद के आगे कुछ दिखता ही नहीं था। समीर के खातिर हम सब ने उसकी सारी बकवास मुँह बन्द करके सुन ली। मैं किसी तरह अपने गुस्से को काबू में रखे हुए था। मनोज और समीर मिलकर उसे शान्त करने की कोशिश कर रहे थे लेकिन वो लगातार बोले ही जा रही थी। कभी उसका निशाना कोमल थी और कभी मैं!
|