ई-पुस्तकें >> फ्लर्ट फ्लर्टप्रतिमा खनका
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जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।
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दोपहर
मेरे पैर मेरे दिल से ज्यादा भारी हैं या मेरा दिल मेरे कदमों से? हाँ लेकिन सोनू की तरफ बढ़ता मेरा हर कदम बेहद मुश्किल है। कल रात से जो कुछ बीत चुका है उसने मेरा हौसला चूर कर के रख दिया है। अब मैं हालात को बदलने या सम्हालने की हिम्मत नहीं बची है मुझ में।
अब जो हो, मुझे उसका सामना करना है बिना कुछ बदले। मैं एक बार फिर उसी वार्ड की दहलीज पर आ खड़ा हुआ। इस बार हर नजर का ध्यान बहुत जल्द मुझ पर था और मुझे परवाह भी नहीं कि कौन किस नजरिये से देख रहा है मुझे? सबसे आखिर में सोनू की नजर मुझ पर पड़ी और उसने तुरन्त ही भीगी सी पलकें फेर लीं। उसके चेहरे पर चढ़ा अफसोस और गहरा गया है और जाहिर है कि उसे मेरे आने की कोई उम्मीद नहीं थी।
मैं जानता हूँ, क्यों?
‘तुम रो क्यों रही हो?.... सब ठीक है।’ मैं उसकी तरफ बढ़ा और ठीक उसी वक्त राय साहब मेरी तरफ।
‘तुम यहाँ क्या कर रहे हो?’
मैं जानता था! ऐसा हो ही कैसे सकता है कि हम दोनों एक साथ, एक जगह पर हों और हमारे बीच को क्लेश न हो।
मुझे पहले उसी से बात करनी होगी।
उनके गुस्से में गुरूर थोड़ा कम है लेकिन है। समझ नहीं आ रहा पहले इनके गुस्से का जवाब दूँ या गुरूर का?
‘मिस्टर राय, यहाँ मेरा सब कुछ दाँव पर लगा है। मैं कोई चान्स नहीं ले सकता अभी तो प्लीज.... आप अपना गुस्सा कुछ देर काबू में ही रखिये। फिलहाल मुझे अपनी पत्नी से बात करनी है...’
‘वो अब तुम्हारी बीवी नहीं है!’ वो एक बार फिर रास्ते के बीच आ गये। कमरे में खड़े लोगों के बीच सरसराहट सी शुरू हो गयी। सब हमारे इर्द-गिर्द जमा होने लगे।
‘जब तक मैं साँस ले रहा हूँ वो मेरी बीवी है!’
‘पापा प्लीज, आप...। मैं चल रही हूँ ना आपके साथ फिर...’ सोनू अपनी जगह से ही गुहार लगाने लगी लेकिन राय साहब के तेवर में कोई घाटा नहीं आया। वो ज्यों के त्यों डटे हैं।
‘मिस्टर राय आज मैं वाकई बुरे मूड में हूँ.... प्लीज बीच में से हटिये।’ मेरा हाथ उनके कन्धे पर गया ही था कि-
‘आप उन्हें बात क्यों नहीं करने दे रहे? क्यों उनको रिश्ता तोड़ने पर तुले हैं?’ मिसेज राय बीच में बोल पडीं।
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