ई-पुस्तकें >> फ्लर्ट फ्लर्टप्रतिमा खनका
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जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।
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मेरे जिस्म से खून सूखता जा रहा है। कुछ दो मिनट से मेरी नजरें उसी पर गड़ी हैं। उसे जवाब देने में वक्त लग रहा है।
‘मिस्टर सहाय उसने जहर की बहुत अच्छी मात्रा ली है और वो भी कोई ऐसा वैसा जहर नहीं था! जब वो यहाँ आयी तो हमें उम्मीद ही नहीं थी कि वो बच भी पायेगी। हाँ लेकिन अफसोस कि हम उसे पहले सा चंगा नहीं कर भेज रहे।’
‘लेकिन जब मैं उसे यहाँ छोड़ गया तो उस वक्त वो बिल्कुल ठीक थी..... बिल्कुल ठीक! उसने मुझसे बात की और.....’
‘मिस्टर राय हम उसके लोवर बॉडी के बारे में बात कर रहे हैं मतलब उसके पैर और कमर कर हिस्सा। जब आपने उससे बात की वो बिस्तर पर लेटी हुई थी।’ उसने मुझे चेता दिया। एहसास कराया कि विपरीत परिस्थितियों में हमारा दिमाग भी विपरीत ही चलने लगता है।
मेरी जुबान भी अब काम नहीं कर रही।
‘मैं जानता हूँ कि ये बहुत बुरी कन्डीशन है लेकिन आप लोग ही अगर सब्र छोड़ देंगे तो उसका क्या होगा?’
मेरा गुस्सा आँसुओं में बदल कर मेरी हताश आँखों से लुढकने लगा है। सिर झुकाये, उँगलियों को आपस में भीचें मैं न जाने अब किसे कोस रहा हूँ?
‘वो कब तक ठीक हो सकेगी?’
‘शायद कभी नहीं लेकिन उसकी जान बच गयी ये भी कम है कि वो जिन्दा है।’
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