ई-पुस्तकें >> फ्लर्ट फ्लर्टप्रतिमा खनका
|
3 पाठकों को प्रिय 347 पाठक हैं |
जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।
109
कुछ बीस मिनट बाद।
एक ओ टी के बाहर एक बेंच पर मायूस, आँखें बन्द किये, मोबाईल को हाथों के बीच भीचें मैं उसे सिर से टकरा रहा था कि-
‘कैसी है वो?’ ये फिक्रमन्द आवाज संजय की थी। वो जिया और अपने बेटे के साथ मेरे बगल में खड़ा था।
‘नहीं जानता, इलाज तो अभी चल ही रहा है। अभी रिपोर्ट आनी भी बाकी है।’ मैं खड़ा हो गया।
‘और तुमने राय को कुछ बताया?’ उसे यकीनन डर था इस बात का।
‘अभी तक तो कुछ नहीं।’ मैंने जवाब दिया और उसकी जान में जान आयी।
एक घण्टे बाद मैं और संजय साँसें रोके डॉक्टर के केबिन में उसके सामने बैठे थे। वो सोनू की रिपोर्ट में डूबा था। हम दोनों को ही उम्मीद थी कि उसने कोई नशा किया होगा लेकिन सच हमारी उम्मीद से कहीं बदतर था।
‘ये शराब नहीं है... और न ही कोई और नशा।’ वो अब तक भी रिपोर्ट पढ़ ही रहा था। ‘उसने कोई तेज जहर खाया है मिस्टर सहाय। ये आत्महत्या की कोशिश है।’ डॉक्टर ने मेरी तरफ देखकर कहा।
‘क्या?’ संजय और मेरे मुँह से एक साथ निकला।
‘वो कब से इस हाल में है?’ डॉक्टर का सवाल था
‘जब घर आया तो ये ऐसे ही थीं। क्यों?’
‘ये परेशान चल रही थीं? कोई दुःख या आपसे कोई झगड़ा वगैरह?’ उसकी आँखें अपना शक बयान करने लगीं।
‘आप कहना क्या चाहते हैं?’ मैं उसकी तरफ झुक गया।
‘वो पहले ही परेशान है डॉक्टर!’ संजय ने उसे टोका। डॉक्टर ने अपना लहजा तुरन्त बदल डाला।
‘जहाँ तक हम समझ रहे हैं ये आत्महत्या की कोशिश है और सच तो इनके होश में आने पर ही पता चलेगा।’
‘ये कब तक होश में आयेगी?’
‘मैं कह नहीं सकता लेकिन इन्हें पाँच घण्टे के अन्दर होश आ जाना चाहिये, वर्ना परेशानी बढ़ सकती है। इनके होश में आने पर ही हम यकीन से कह पायेंगे कि जहर का कितना असर हुआ है लेकिन इनको खतरा है, बहुत खतरा है।’
|