ई-पुस्तकें >> फ्लर्ट फ्लर्टप्रतिमा खनका
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जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।
9
15 जुलाई।
मेरी जिन्दगी की सबसे बड़ी शाम। सबसे उजली! पहली बार में किसी होटेल में रुका था पूरी रात के लिए।
मैं समीर के साथ यात्री इन की बहुमंजिली इमारत की अन्धेरी छत पर था। हमेशा की तरह कान पर मोबाइल चिपकाये वो टहल रहा था और मैं इस पाराफीट वाल पर झुके हुए इस होटल के चमचमाते गार्डन और उसमें जमा भीड़ को देख रहा था। क्या नजारा था! मैं कभी नहीं भूल सकता वो झिलमिलाते पेड़, वो झमझमाता झरना, वो शोर और वो बेचैनी! मेरी आँखें तो इस रोशनी से बंध सी चुकी थीं।
समीर ने जैसे ही कॉल रखी, एक सिगरेट जलाता हुआ मेरे पास आ गया।
‘माँय माँय।’ वो भी मेरी तरह पॅराफीट पर झुक गया और फैली सी पुतलियों की तरह अपनी मुस्कान भी फैला ली। ‘मुझे तो समीर ने कहा था कि कुछ 400-450 लोग होंगे यहाँ लेकिन इस भीड़ को देखो। ये तो ज्यादा लग रहे हैं!’ नीचे की रोशनी ने उसके चेहरे को जगमगा दिया। अब मैं उसके चेहरे के भाव और सफाई से देख सकता था और उसके माथे पर आ रहा घबराहट का पसीना भी।
‘नर्वस?’ मैंने पूछा।
‘ऑफ कोर्स! तू नहीं है क्या?’
‘थोड़ा बहुत। कई काम्पीटेटर ऐसे हैं कि हमें आराम से धो देगें।’ मैंने उसके होठों से सिगरेट निकाल कर अपनी उँगलियों में फँसा ली।
‘भगवान!’ उसने बैचेनी भरा एक लफ्ज कहा और पलटकर खड़ा हो गया।
ये किसी बड़े स्टेज पर हमारी पहली परर्फामेन्स होने वाली थी। इससे पहले हमने कभी स्टेज पर राष्ट्रीय गीत तक नहीं गाया था। मुझे अपनी हार का डर नहीं था लेकिन..... फिर भी ना जाने क्यों मैं ठण्डा सा पड़ रहा था।
हमारी परर्फामेन्स को अभी कुछ डेढ़ घण्टा बाकी था। विनय ने हमें तैयार होने को कहा, साथ ही वो हमें ज्यूरी मैम्बर में से किसी एक से मिलवाना भी चाहता था।
हम उसके पीछे पीछे चल रहे थे और वो उस मेम्बर के बारे में हमें बता रहा था।
‘ये एक बहुत ही इम्पोटेन्ट मैम्बर है, इस लड़की को कैसे भी तुम्हें इम्प्रेस करना ही है।’
‘लड़की?’ समीर से शरारत से मुस्कुरा उठा।
‘हाँ, यामिनी। वो जजेस में से एक है लेकिन हमारी एजेन्सी में उसकी बहुत चलती है। अगर उसे लुभा लिया तो फिर तुम्हारा मॉडल बनने का रास्ता बिल्कुल साफ है समझो।’
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