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फ्लर्ट

प्रतिमा खनका

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :609
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9562
आईएसबीएन :9781613014950

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जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।

सोनाली के मन पर कोई बोझ नहीं था इस बात को कहते हुए लेकिन मेरे मन पर था... उसके यहाँ आने की वजह का बोझ।

‘आप उसे कॉल कर लीजिये।’ सोनू मेरा बैग लेकर बेडरूम की तरफ चल दी।

‘जाने दो।’ आस्तीन के बटन खोलते हुए मैं उसके पीछे चल रहा था। ‘मैं नहाने जा रहा हूँ और मुझे बहुत जोरों से भूख लगी है तो प्लीज....’

‘उसके पास कोई तो वजह होगी यहाँ आने की। आपको उससे एक बार तो बात करनी ही चाहिये।’

‘सोनू मैं कर लूँगा लेकिन बाद में, अभी मैं बात नहीं करना चाहता।’

‘क्योंकि मैं यहाँ हूँ?’

पूरी तरह तो नहीं लेकिन हाँ कहीं ना कहीं ये भी एक वजह थी उस वक्त बात न करने की। मैं सच में उसके सामने यामिनी से बात नहीं करना चाहता था।

‘सोनू, देखो मेरी उससे न जाने कब से बात नहीं हुई, मैं बिल्कुल नहीं जानता कि वो क्या कहने वाली है, अगर कुछ जरूरी है तो फिर, न पता नहीं क्या बात होगी।’

‘बात कुछ भी हो मुझे उससे कोई मतलब नहीं होगा, मैं तो इस बात पर भी कुछ नहीं कह रही कि आप का नम्बर अब तक उसके पास है।’ उसने मेरा बैग खोला और चुपचाप मेरे कपड़े बाहर निकालने लगी।

औरतों का कुछ नहीं हो सकता और तब तो बिल्कुल नहीं जब वो आपकी बीवी हो।

मुझे यामिनी के यहाँ आने न आने में वाकई कोई दिलचस्पी नहीं थी। शायद मैं उसे कॉल करता भी नहीं। मैं उससे बात करना टाल रहा था कि सोनू मुझे गलत न समझ ले लेकिन वो अब भी यही कर रही थी।

मुझे यामिनी को काल करनी ही पड़ी।

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