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फ्लर्ट
फ्लर्ट
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :609
मुखपृष्ठ :
Ebook
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पुस्तक क्रमांक : 9562
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आईएसबीएन :9781613014950 |
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जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।
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दूसरी बार मेरी शादी प्लान हुई थी।
माँ ने जब पहली बार संजय से ये बात सुनी तो उसने मुझे समझाया कि प्रीती के बाद अब सोनाली की जिन्दगी से न खेलूँ।
उन्हें डर था कि प्रीती वाली कहानी फिर से दोहरायी जा सकती है और वो इस बार इस गलती का हिस्सा नहीं बनना चहातीं थी। संजय को मैंने अपनी शादी तब तक टालने की राय दी जब तक माँ इसमें शामिल होने को राजी न हो जाये लेकिन संजय को यकीन था कि वो जरूर आयेगी। संजय ने यहाँ शादी की तैयारी जारी रखी और उधर मेरी बहनों ने माँ को मनाना।
मेरी शादी से सिर्फ एक दिन पहले वो शादी में आने के लिए हामी भरी।
हमने सिर्फ 7 दिनों के भीतर शादी कर ली और हमारी शादी का ऐलान भी एक बड़ी खबर बन गया।
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