ई-पुस्तकें >> फ्लर्ट फ्लर्टप्रतिमा खनका
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जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।
‘अपनी कारोबारी जिन्दगी में वो चाहे कुछ भी हो लेकिन निजी जिन्दगी में एक बाप तो है ही। सोनाली उसकी कमजोरी है। वो उसके लिए जीता है और उसे तकलीफ में देखने की सोच भी नहीं सकता। हाँ कहने के सिवा उसके पास कोई ऑप्शन ही नहीं था।’
‘लेकिन तुम्हें एक बार मुझसे पूछना तो चाहिये था?’
‘तो क्या हुआ? मैं तेरा बड़ा भाई हूँ और तेरे भले के लिए कोई भी कदम उठाने का पूरा हक है मुझे।’
मैं अब और क्या कह लेता? उसकी बेफिक्री साबित कर रही थी हालात पूरी तरह हमारे काबू में हैं लेकिन फिर भी एक अन्जाना सा डर मुझे घेरे सा था।
‘अब क्या सोच रहा है? स्माइल ना!’
मैंने गहरी साँस ली। एक विचार कहीं अटका सा था।
‘मुझे ये सही नहीं लग रहा है। वो मुझसे बेहतर इन्सान डिजर्व करती है।’
‘अंश प्लीज! प्यार सिर्फ प्यार ही डिजर्व करता है। उसका प्यार सच्चा है और यही एक चीज है जिसने सब कुछ मुमकिन किया... उसका प्यार। उसका यकीन। उसके आँसू और उसके इन्तजार। मैं जानता हूँ कि तुम दोनों साथ में अपनी जिन्दगी बेहतर गुजार सकते हो। इसी को कहते है हैप्पी एन्डिंग।’
वो हमारे लिए बहुत खुश था। उसे चुप कराने के लिए मेरे पास अल्फाज नहीं थे इसलिए मैंने ये बहस भी यही छोड़ दी और उसकी जगह भी।
मैं पोर्टिको जा रहा था। इस बीच एक बार सोनू को कॉल किया। उसकी रजा जाननी बेहद जरूरी थी। मुझे अपने लिए कोई डर नहीं था, डर था तो उसके लिए। उसकी खुशी के लिए।
‘सोनाली, मैं एक फ्लर्ट के तौर पर बदनाम रह चुका हूँ और आज भी मैं उसी जगह काम कर रहा हूँ जहाँ कभी किया करता था। आज भी मेरे टॅच में लड़कियाँ ज्यादा है। कुछ एक आध मुझे पसन्द भी करती है। उनके साथ काम करता हूँ तो बातचीत करना मेरी मजबूरी है, तुम कर सकोगी न मुझ पर यकीन, प्रीती की तरह तुम्हारा यकीन तो नहीं हिल जायेगा?’
‘अंश हो सकता है कि तुमको और भी कोई पसन्द करती हो, लेकिन तुम तो नहीं करते न! मैं ये तो नहीं कह रही कि तुम पर सबसे ज्यादा यकीन करती हूँ लेकिन हाँ जितना करती हूँ उतना काफी है उम्र भर के लिए।’
उसने मुझे लाजवाब कर दिया। मैं बस मुस्कुरा रहा था गाड़ी चलाते हुए।
‘आपको दहेज में क्या चाहिये?’
‘अमम् तुम्हारा बचपना। मैं उसी सोनाली को अपनी जिन्दगी में चाहता हूँ जिसे पहली बार मिला था।’
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