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फ्लर्ट
फ्लर्ट
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :609
मुखपृष्ठ :
Ebook
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पुस्तक क्रमांक : 9562
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आईएसबीएन :9781613014950 |
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जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।
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हर उजले चेहरे का का एक अन्धेरा पहलू जरूर होता है और पत्रकारों के हाथों में वही अन्धेरा चिट्ठा! सोनाली पत्रकारों से घिरी हुई थी। मेरी तस्वीर से जीम गर्द साफ करने के लिए उसने उन लोगों के असली चेहरे दुनिया के सामने लाकर रख दिये जो मुझ पर कीचड़ उछाल रहे थे। उसने उन लड़कियों पर भी रहम नहीं किया जिनसे मेरे रिश्ते बने और टूटे। सोनू ने सब के बारे में खबरें जमा कीं और बाजार में बिखेर दीं।
इसका वाकई असर पड़ा!
खबरें आपकी सोच तो नहीं बदल सकतीं लेकिन सोचने की दिशा जरूर बदल सकतीं हैं और यही चीज सोनाली के लिए कारगर रही। मेरी तस्वीर के धुंधले रंग अब लोगों की नजर में साफ होने लगे थे। सिर्फ एक महीने में ही सोनू जो चाहती थी वो लगभग हो चुका था, उसे यहाँ रुक जाना चाहिये था लेकिन वो नहीं रुकी।
असल में जिन लोगों का नाम सोनू ने उछाला था उनमें यामिनी भी शामिल थी। सोनू ने सबसे ज्यादा मेहनत उसी का इतिहास खोदने में की। वो कौन थी? कहाँ से आयी थी? उसने कब और किससे शादी की? मुम्बई में लोगों के उससे रिश्ते। उसका हर एक इन्वोल्वमेंन्ट और तो और वो कैसे जापान पहुँची ये भी। कई राज तो ऐसे थे जो सोनू को मैंने ही बताये थे और मुझसे ही मिली जानकारी उसने मुझसे पूछे बिना ही टी वी, इन्टरनेट, अखबार, मैगजीन्स में फैला दी।
जिस तरह लोगों ने मुझे फ्लर्ट समझा वैसे ही सोनू ने यामिनी को। उसके लिए यामिनी ही मेरी बर्बादी और भटकाव की वजह थी। वो यामिनी पर एक कवर स्टोरी टेलीकास्ट करने वाली थी कि मुझे इस बात की खबर लग गयी।
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